बदमाश दिल (कहानी) प्रतियोगिता हेतु-10-Feb-2024
बदमाश दिल
यह दिल ही है जो हमसे सही- गलत, ऊँच-नीच, अच्छा- बुरा, सब कुछ करवाता है। जिसने दिल पर काबू पा लिया वह सकारात्मक कार्यों की तरफ़ अग्रसर हो जाता है और जो काबू नहीं पाया वह नकारात्मक कार्यों की तरफ़।
तो आज मैं आपको इस बदमाश दिल की एक कहानी सुनाती हूंँ।
रमा के पड़ोस में महेश जी रहते थे जिनका काम था घर-घर में घूमकर आग लगाना। रमा की मम्मी की भी आदत थोड़ी अच्छी नहीं थी। रमा से कोई ग़लती हुई नहीं की जो आया उससे ढिंढोरा पीटना शुरू। रमा अपनी मम्मी के इस आदत से बहुत परेशान रहती थी। महेश जी जब शाम को ड्यूटी से छुटें तो रमा के यहांँ हाज़िरी लगाते हुए ही अपने घर जाते थे। उनकी नज़रें भी रमा के लिए अच्छी नहीं थीं। रमा उनकी इस आदत से बहुत परेशान हो गई थी। उसे कोई तरीका नहीं समझ में आ रहा था कि कैसे वह उनका आना-जाना छुड़ाए। उसके दिल को एक बदमाशी सूझी और उसके बदमाश दिल ने एक लाज़वाब तरीका सोच लिया।जैसे ही महेश जी आए वह चाय रखी और अपनी मम्मी के लिए चाय निकालने के बाद महेश जी की चाय में ख़ूब ज्यादा सा काली मिर्च कूटकर डाल दी और खूब पकाकर चाय ले गई और अपने हाथ से उठाकर चाय दी। मम्मी को ठीक वाली चाय दी और महेश जी को गड़बड़ वाली चाय दी ।महेश जी जैसे ही चाय पीए उनके चेहरे पर बारह बज गया। लेकिन जब रमा की मम्मी को देखे तो वो आराम से चाय पी रही थीं। उन्हें माजरे को समझते देर नहीं लगा लेकिन मरता क्या न करता। बिचारे जहर का घूँट पीकर कप रखे और वहांँ से चलते बने। उस दिन के बाद से महेश जी का रमा के घर रोज़ हाज़िरी लगाना बंद हो गया।
तो यह महेश जी का बदमाश दिल था जो आकर रमा के घर बैठकर रमा की मम्मी की हांँ में हांँ मिलाता था, आग में घी डालने का काम करता था और रमा पर गंदी नज़रें डालता था। यह रमा की मम्मी का बदमाश दिल था जो तजुर्बेदार होने के बावजूद भी महेश जी को भाँप नहीं पाई थीं। और यह रमा का बदमाश दिल था जो बिना शोर- शराबे के बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से महेश जी को उनके किए की सज़ा दे दिया। और उनका रोज़ का हाज़िरी लगाना भी बंद करवा दिया।
सीख- कभी-कभी बदमाशों की बदमाशी दूर करने के लिए बदमाशी करना भी ज़रूरी हो जाता है।
साधना शाही, वाराणसी
Mohammed urooj khan
12-Feb-2024 01:14 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
11-Feb-2024 06:35 PM
Nice
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Gunjan Kamal
11-Feb-2024 12:06 AM
शानदार प्रस्तुति
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